बिखरने के बाद का सिमटा हुआ–सा मैं ‘था’ से लेकर ‘हूँ’ तक पूरा–का–पूरा जी लेता हूँ ख़ुद को ... बिखरने के बाद का सिमटा हुआ–सा मैं ‘था’ से लेकर ‘हूँ’ तक पूरा–का–पूरा जी ...
फागुन की छायी बहार है ,सब मिल खेलो रंग । हर सू बिखरा रंग केसरी ,मनवा हुआ मलंग फागुन की छायी बहार है ,सब मिल खेलो रंग । हर सू बिखरा रंग केसरी ,मनवा हुआ मलंग
शंखनाद हुआ शंखनाद हुआ
बंद कमरा अक्सर कुछ छूटे हुए पल समेटे रखता है बंद कमरा अक्सर कुछ छूटे हुए पल समेटे रखता है
एक तूफान आया था सब कुछ तितर बितर करके चला गया है एक तूफान आया था सब कुछ तितर बितर करके चला गया है
मैं भटका हुआ मुसाफ़िर ,तुम बरगद की छांव से मैं सर्द शामों की कंपकपाहट ,तुम अलाव से मै मैं भटका हुआ मुसाफ़िर ,तुम बरगद की छांव से मैं सर्द शामों की कंपकपाहट ,तुम अल...